रविवार को google ने Gama Pehlwan or 'The Great Gama को डूडल उनकी 144 वी जयंती पर श्रद्धांजलि दी

यह है भारत के महान  पहलवानों में से एक गुलाम मोहम्मद बख्श बट |

गामा पहलवान एक मजबूत व्यक्ति की परिभाषा थे |उन्होंने 50 वर्षों में एक भी मुकाबला नहीं हारा,

हर दिन कई हजारों स्क्वाट्स और पुशअप किया करते थे |

गामा पहलवान के बारे कुछ खास बातें

उनकी लम्बाई 5 फुट 7 इंच था, जबकि एक पहलवान के लिए यह कुछ कम था , परन्तु उनकी ताकत का कोई मुकाबला नहीं था | ऐसा लोग कहते है की वोह हर दिन 5000 स्क्वैट्स और 3,000 पुश-अप्स किया करते थे |

उनके रोज के आहार में 10 लीटर दूध, 6  मुर्गियां और एक पाउंड से अधिक कुटी हुई बादाम का पेस्ट शामिल था।

वह अपने पूरे करियर में 50 साल तक कोई भी मुकाबला नहीं हारे |  कई मुकाबिला तो उन्होंने कुछ मिनटों में ही जीत लिया था |

वो किशोर अवस्था में ही काफी मशहूर होने लगे थे |

1902 में जब गामा पहलवान 20 साल के थे तब उन्होंने 1200 किलोग्राम वजन का एक पत्थर उठाया थे | जो की अभी बड़ौदा संग्रहालय में प्रदर्शनी के लिए रखा हुआ है | जिसको हिलने के लिए 25 लोग और एक मशीन की जरुरत पड़ी थी |

भारत में उनसे मुकाबला करने वाला कोई नहीं था | जिनसे भी हुई वोह पराजित हो गए | असली प्रतियोगिता के लिए वह विदेश गए जहाँ उन्होंने  स्टैनिस्लॉस ज़बीस्ज़्को, फ्रैंक गॉच और बेंजामिन रोलर को हराया

उनका प्रभुत्व ऐसा था उनसे मुकाबला के लिए पहलवान का मिलना मुश्किल हो गया | पहलवान को आकषिर्त करने के लिए उन्होंने कहा था जो भी उनको हराएगा तो उनको पूरा पुरस्कार देकर भारत लौट जाएंगे, आखिर में अपराजित ही भारत लौट आये |

इतने कुख्यात थे कि 1922 में जब वे भारत आए तो प्रिंस ऑफ वेल्स ने उनसे मिलने की जिद की। उन्हें चांदी की गदा भेंट किया | करते थे। गामा की लोकप्रियता से ब्रूस ली भी प्रेरित थे।

1952 में 74 साल की उम्र में अपने करियर  को चोर दिया, ऐसा नहीं की वो कमजोर हो गए थे बल्कि उन्हें कोई पराजित नहीं कर पा रहा था | 5000 से भी अधिक मुकाबला में अपराजेय रहे|

उनकी विरासत ऐसी थी कि स्क्वाट और पुशअप्स करते समय 100 किलोग्राम का  डिस्क प्रैक्टिस करते थे | पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) संग्रहालय में प्रदर्शित है।